"अन्धन को आंख देत कोडन को काया"
विध्न हरता।बुद्धि प्रदायक।मंगल मूर्ति ।रिद्धि सिद्धि कर दाता और न जाने कितने असख्य नाम से जाने वाले गणों के देव गणपती का दस दिवसीय उत्सव शहर में शबाब पर
है कही सबसे बड़ा पंडाल।सबसे बड़ी मूर्ति।गणेशजी को स्थापित करने के साथ साथ अपने अपनेआप को।राजनीति के रंग को स्थापीत करने की होड़ लगी है ।फलाने लाल जी के गणपति ।वहां के राजा ।यहां के राजा पर इस उत्सव का कारण पूछने पर सब निरुत्तर
गणपती जी की मूर्ति अपने आप मे एक सन्देध देती है।क्यो आता है गणपति उत्सव इस कलयुग में क्या संदेश देना चाहता है गणेश का पर्व।
थोड़ा समझे
पुरानी मान्यता जो आज भी है कि जब वर्षा ऋतु के बाद नदीयो के तट वर्षाजल से स्वच्छ हो जाते है।उस वक़्त कुम्हार की रोजी रोटी का साधन गणेशजी कि मुर्तिया बनती है
वो मूर्त जिसका एक एक अंग की बनावट एक संदेश देती है
बड़ा मस्तक बडी सोच के साथ कार्य
बड़े कान हर बात को ध्यान से सुनना छोटी आंखे गहराई से देखना
https://youtu.be/ZGIzuVXP4hc
छोटा मुह कम बोलना ।मतलब विशाल बुद्धि से सोच पुरी तरह बात सुन पैनी नजर से देखा एवम शब्दो का कम उपयोग कर कार्य करना
बड़ा पेट चार भुजाओं वाली चारो दिशा की सोच याने हर दिशा हर वर्ग का ध्यान रखना
अन्धन को आंख देत कोडन को काया।मेरा निवेदन है रोज सुबह शाम इस आरती को गाने वालो भक्त जनों से ।की कुष्ठ आश्रम ।अन्धश्रम जाकर उनकी मदद करो [EYE DONATION}आर्थिक मानसिक शारीरिक ।उनके लिए साक्षत गणेश जी के रूप में आप वहां जाओगे।
मुझ को कहा ढूंढे रे बंदे में तो तेरे पास
मेने स्वय ने इसका पालन किया है एवं देश प्रदेश के अलग अलग शहरों में इस पर अमल हो रहा है
आप क्या सोच रहे है
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=10155472144926599&id=570246598
विध्न हरता।बुद्धि प्रदायक।मंगल मूर्ति ।रिद्धि सिद्धि कर दाता और न जाने कितने असख्य नाम से जाने वाले गणों के देव गणपती का दस दिवसीय उत्सव शहर में शबाब पर
है कही सबसे बड़ा पंडाल।सबसे बड़ी मूर्ति।गणेशजी को स्थापित करने के साथ साथ अपने अपनेआप को।राजनीति के रंग को स्थापीत करने की होड़ लगी है ।फलाने लाल जी के गणपति ।वहां के राजा ।यहां के राजा पर इस उत्सव का कारण पूछने पर सब निरुत्तर
गणपती जी की मूर्ति अपने आप मे एक सन्देध देती है।क्यो आता है गणपति उत्सव इस कलयुग में क्या संदेश देना चाहता है गणेश का पर्व।
थोड़ा समझे
पुरानी मान्यता जो आज भी है कि जब वर्षा ऋतु के बाद नदीयो के तट वर्षाजल से स्वच्छ हो जाते है।उस वक़्त कुम्हार की रोजी रोटी का साधन गणेशजी कि मुर्तिया बनती है
वो मूर्त जिसका एक एक अंग की बनावट एक संदेश देती है
बड़ा मस्तक बडी सोच के साथ कार्य
बड़े कान हर बात को ध्यान से सुनना छोटी आंखे गहराई से देखना
https://youtu.be/ZGIzuVXP4hc
छोटा मुह कम बोलना ।मतलब विशाल बुद्धि से सोच पुरी तरह बात सुन पैनी नजर से देखा एवम शब्दो का कम उपयोग कर कार्य करना
बड़ा पेट चार भुजाओं वाली चारो दिशा की सोच याने हर दिशा हर वर्ग का ध्यान रखना
मुझ को कहा ढूंढे रे बंदे में तो तेरे पास
मेने स्वय ने इसका पालन किया है एवं देश प्रदेश के अलग अलग शहरों में इस पर अमल हो रहा है
आप क्या सोच रहे है
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